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महर ला
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सेना ला
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सानना ला
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साबथिंना ला
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खिरा ला
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बांहोना ला
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बिथांखि ला
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बिबान ला
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दाबि खालामना ला
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फरिखा ला
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फिन साजा ला
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फुवारना ला
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फेनाय ला
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बन्दकाव ला
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मोजोमाव ला
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मदद ला
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समाय-खिरा ला
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फेफेफुफु हां ला
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थांखि ला
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ला
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स्कंध १ ला - अध्याय १९ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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लघुभागवत - अध्याय १ ला
लघुभागवत,पुराण,laghubhagavat,puran,मराठी,marathi
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अभंग ज्ञानेश्वरी - अध्याय १ ला
स्वामी स्वरूपानंद ह्या थोर सत्पुरूषाने ‘ अभंग ज्ञानेश्वरी ‘ नामक अत्यंत सुबोध, नितांत सुंदर आणि परम रसाळ असा अभंगात्मक ग्रंथ लिहीला.
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एकनाथी भागवत - श्लोक १ ला
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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अध्याय १ ला - श्लोक ११ ते १४
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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स्कंध १ ला - अध्याय १६ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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एकनाथी भागवत - श्लोक १ ला
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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अध्याय १ ला - श्लोक ११ ते २०
स्वामी स्वरूपानंद ह्या थोर सत्पुरूषाने ‘ अभंग ज्ञानेश्वरी ‘ नामक अत्यंत सुबोध , नितांत सुंदर आणि परम रसाळ असा अभंगात्मक ग्रंथ लिहीला .
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स्कंध १ ला - अध्याय ९ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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स्कंध १० वा - अध्याय १ ला
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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एकनाथी भागवत - श्लोक १ ला
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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एकनाथी भागवत - श्लोक १ ला
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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अंक पहिला - भाग १ ला
नाट्याचार्य देवलांच्या ’ संगीत मृच्छकटिक ’ ह्या नाटकाचा पहिला प्रयोग सन १८८७ सालीं ’ ललितकलोत्सव मंडळी ’ नें, पुणें येथें आनंदोद्भव नाट्यगृहांत केला.’
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स्कंध १ ला - अध्याय १२ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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एकनाथी भागवत - श्लोक १ ला
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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स्कंध १ ला - अध्याय ५ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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अध्याय १ ला - श्लोक ४८ ते ५०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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एकनाथी भागवत - श्लोक १ ला
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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अध्याय १ ला - श्लोक १ ते ७
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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- ला - दुर्धर करुणा तीव्र वेदना ...
बालकवी ऊर्फ त्र्यंबक बापूजी ठोंबरे (इ.स. १८९०-इ.स. १९१८) यांचा मराठीतील सर्वश्रेष्ठ निसर्गकवी म्हणून यथार्थ गौरव केला जातो.
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आत्मज्ञानी भजनी पदे - गण १ ला
महाराष्ट्रात, विशेषतः ग्रामीण भागात एकतारी भजनी परंपरा आहे.
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एकनाथी भागवत - श्लोक १ ला
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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एकनाथी भागवत - श्लोक १ ला
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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एकनाथी भागवत - श्लोक १ ला
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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श्रीदत्तमाहात्म्य - अध्याय १ ला
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत `श्रीदत्तमाहात्म्य `
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एकनाथी भागवत - श्लोक १ ला व २ रा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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राम गणेश गडकरी - नाचतां मोर ॥ नाचते पहा ला...
राम गणेश गडकरींनी मराठी साहित्यात मोलाची भर घातली.
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अध्याय १ ला - श्लोक ७० ते ७२
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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एकनाथी भागवत - श्लोक १ ला
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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स्कंध १ ला - अध्याय ७ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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